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Showing posts from July, 2014

कविता- बेटी

वो है हर बाप की चहेती, वो है नटखट, वो है प्यारी, वो है बेटी! अपनी जिद मनवाकर रहती, और सब उसकी जिद ख़ुशी-ख़ुशी पूरी भी करते, क्योंकि, वो है बेटी! अपने पिता को चाय बनाकर देती, और अगर चाय में चीनी के जगह नमक हो, तब भी उसकी तारीफ़ होती क्योंकि, वो है बेटी! सना 

बारिश

          वाह! ये हुई न बात| आज जाकर अच्छे से झम-झम बारिश हुई है| क्या सुहाना मौसम हो रहा है सुबह से| ऐसे मौसम में भुट्टा खाने का मज़ा ही कुछ और है| भुट्टा नहीं तो आलू का पराठा ही सही, जैसे आज मैनें नाश्ते मैं खाया|          आज सुबह आँख खुली तो बाहर हरे-भरे पेड़ दिखाई पड़े| ठण्ड का थोडा एहसास हो रहा था| मुझे लगा ऐ.सी. फुल पर होगा, पर जब ऐ.सी के तरफ देखा तो फुल तो छोड़ो ऐ.सी तो खुला भी नहीं था| फिर उठी और बरामदे में जाकर खड़ी हो गई| तब देखा कि मेहरबानी से आज बारिश हो रही है| मन तो कर रहा था कि जाके मज़े से नहा लूं | पर याद आया कि कल से स्कूल खुल रहा है, बारिश मैं अगर मैं भीग कर बीमार पड़ गई तो स्कूल न जा पाऊँगी| और इतने दिनों के बाद अपने दोस्तों से मिलने का मौका मैं नहीं छोड़ना चाहती, और-तो-और कल टेस्ट भी है| पर कोई बात नहीं| ब्रश करके नीचे गई और नाश्ते मैं आलू का पराठा खाते हुए बारिश का मज़ा ले रही थी| कितना लज़ीज़ था! आज मैं बहुत खुश हूँ, आज मेरे दादा भी आने वाले हैं और बारिश भी हो गई| आशा करती हूँ कि जैसे अभी दिन तक का वक्त अच्छे से गुजरा, वैसे...