छुट्टियों में नानी का घर हो और भाई-बेहेन हों, तो उसका आनंद ही कुछ और है। इस बार होली की छुट्टी में मैं नानी के घर गयी हुई थी। वहाँ मेरे भाई-बहन भी आये हुए थे। पूरे दो साल बाद सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। मेरी खाला सऊदी से आई हुई थीं। उनसे मिलने के लिए हम सब वहाँ गए थे । मेरी दोनों छोटी बहनें भी थीं, इरम और मायरा। मेरा छोटा भाई सायम और दो बड़े भाई शाज़ान और शाबी भी थे । सबलोगों में इतने सारे बदलाव आ गये थे दो सालों में । इरम और मायरा दोनों बड़ी हो गयी थीं । और इरम तो बड़े होने के साथ - साथ और बदमाश हो गयी थी । सायम लम्बा और पतला हो गया था । मुझे तो यह समझ नहीं आता कि मेरे जितने भाई हैं, वो सब इतने ज्यादा पतले क्यों हैं !!! मैं तो अपने भाइयों पर बिलकुल भी नहीं गयी हूँ । खैर! शाबी भईया ने तो थोड़ी सी सेहत बना ली है । शाज़ान भईया में तो एक ही बदलाव था जो हर साल होता है ! वो है उनकी लम्बाई । लगता है की अब बुर्ज़ खलीफा बन कर ही दम लेंगे ! बदलाव तो हम ...